यज्ञ क्या है?
यज्ञ के प्रकार
अध्यापनं ब्रह्मयज्ञः पितृयज्ञस्तु तर्पणम् ।
होमो दैवो बलिर्भौतो नृयज्ञोऽतिथिपूजनम् ॥ मनुस्मृतिः ३।७०॥
यज्ञ
ब्रह्मयज्ञ
देवयज्ञ
पितृयज्ञ
भूतयज्ञ वा बलिवैश्वदेवयज्ञ
अतिथि
यज्ञ
१) ब्रह्मयज्ञ –
स्वाध्यायेनार्चयेदर्षीन् होमैर्देवान् यथाविधि।
पितॄन् श्राद्धैश्च नॄनन्नैर्भूतानि बलिकर्मणा॥ मनुस्मृतिः ३।८१॥
२) देवयज्ञ –
स्वाध्यायेनार्चयेदर्षीन् होमैर्देवान् यथाविधि।
पितॄन् श्राद्धैश्च नॄनन्नैर्भूतानि बलिकर्मणा॥ मनुस्मृतिः ३।८१॥
३) पितृयज्ञ –
स्वाध्यायेनार्चयेदर्षीन् होमैर्देवान् यथाविधि।
पितॄन् श्राद्धैश्च नॄनन्नैर्भूतानि बलिकर्मणा॥ मनुस्मृतिः ३।८१॥
४) भूतयज्ञ वा बलिवैश्वदेवयज्ञ –
पितॄन् श्राद्धैश्च नॄनन्नैर्भूतानि बलिकर्मणा॥ मनुस्मृतिः ३।८१॥
५) अतिथियज्ञ वा नृयज्ञ –
स्वाध्यायेनार्चयेदर्षीन् होमैर्देवान् यथाविधि।
पितॄन् श्राद्धैश्च नॄनन्नैर्भूतानि बलिकर्मणा॥ मनुस्मृतिः ३।८१॥
यज्ञ चिकित्सा
“या क्रिया व्याधिहरणी सा चिकित्सा निगद्यते
दोषधातुमलानां या साम्यकृत्सैव रोगृहृत्”
- भावप्रकाश/पूर्वखण्डः/1/5/11
That is, any action by which disease is cured is called treatment.
रोगों का कारण एवं यज्ञ चिकित्सा द्वारा निवारण -
यज्ञ चिकित्सा द्वारा रोग निवारण (Patanjali Wellness/Yoggram) -
यज्ञ चिकित्सा के शास्त्रीय प्रमाण -
यदि क्षितायुर्यदि वा परेतो यदि मृत्योरन्तिकं नीत एव।
तमा हरामि निर्ऋतेरुपस्थादस्पार्शमेनं शतशारदाय।। (अर्थव. 3.11.2)
किसी की आयु क्षीण हो चुकी है, वह जीवन से निराश हो चुका है, मृत्यु के बिल्कुल समीप पहुँच चुका है, तो भी यज्ञ चिकित्सा उसे मृत्यु की मुख से लौटा लाती है।
आयुर्वेदेषु यत्प्रोक्तं यस्य रोगस्य भेषजम्।
तस्य रोगस्य शान्त्यर्थं तेन तेनैव होमयेत्।। (पंचरत्नसारसारसंग्रह)
आयुर्वेद ग्रन्थों में जिन रोगों के शमन के लिए जिन औषधियों का विधान है, उन-उन रोगों के शमन हेतु उन्हीं औषधियों से हवन करें।
यया प्रयुक्तया चेष्ट्या राजयक्ष्मा पुरा जित:।
तां वेदविहितामिष्टमारोग्यार्थी प्रयोजयेत्।। (च.सं.चि. स्थानम्- 8.122)
प्राचीनकाल में जिन यज्ञों के प्रयोग से राजयक्ष्मा को जीता जाता था, आरोग्य चाहने वाले मनुष्य को उन वेदविहित यज्ञों का अनुष्ठान करना चाहिए।
यज्ञ चिकित्सा से रोग निवारण कैसे ?
Ion and health –
Psychological benefits –
यज्ञ एक सूक्ष्म आहार -
वायुमंडलीय प्रदूषण को कम करना –
विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों पर प्रभाव –
यज्ञ भस्म (Ash) के लाभ
सूक्ष्म औषधि (Nano-Medicine) -
माइक्रोबियल प्रदूषण (Microbiological Pollution) -
Testimonilas
Depression
https://youtu.be/zZQK-EQ5b5s
Migrain
Sinus/Asthma/Tuberculosis
Lung fibrosis
Pneumonia
Tumor/Cancer
Fibroid & Multiple disease
Psoriasis & other Skin Problems
Throat/Thyroid
Muscular Dystrophy
Paralysis
Misscarrige, PCOD & other Gynecological Problems
Arthritis/Knee Pain
Obesity & Diabetes
Spinal Cord infection
Infertility
Heart Problems
Spinal Cord
Chronic Ulcer
Kidney Problems
Comma
fissure
Fungal Infection
Black fungus
Tuberculosis
Insomnia
Multiple Sclerosis
Cough, Sneezing, Cold & Allergies
Over Bleeding Problem
Knee Problem
Genetic Problems
Peripheral artery Disease (PAD)
विशेष अनुभव
यज्ञ के विशेष अनुभव - 1
यज्ञ के विशेष अनुभव - 2
यज्ञ के विशेष अनुभव - 3
यज्ञ धूम के गुणधर्म
वैज्ञानिक शोध-पत्रों में प्रकाशित यज्ञ चिकित्सा के लाभ -
Application of Yagya Therapy
How to do Yagya Therapy?
How to prepare Yagya Samagri?
ऋतुओं के अनुसार समिधायें
ऋतु | महीना | अंग्रेजी महीना | समिधा |
शिशिर | माघ-फाल्गुन | जनवरी, फरवरी, मार्च | गूलर या बरगद |
वसंत | चैत्र-बैशाख | मार्च, अप्रैल, मई | शमी |
ग्रीष्म | ज्येष्ठ-आषाढ | मई, जून, जुलाई | पीपल |
वर्षा | श्रावण-भाद्रपद | जुलाई, अगस्त, सितम्बर | ढ़ाक या बिल्व |
शरद | आश्विन-कार्तिक | सितम्बर, अक्तूबर, नवम्बर | गूलर, पाकर या आम |
हेमंत | मार्गशीर्ष-पौष | नवम्बर, दिसम्बर, जनवरी | खैर |
रोगानुसार यज्ञ सामग्री
स्वामी दयानन्द की दृष्टि में यज्ञ
आह्वान
यही हमारी संस्कृति, यही हमारी पहचान।
आओं करें मिलकर यज्ञ सब, हो ऋषि-राष्ट्र सम्मान।।
न होता कोरोना आदि रोगों का वार।
आते यदि यज्ञ-योग-आयुर्वेद के द्वार।।
वैश्विक चुनौतियाँ एवं यज्ञ
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