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सुमन शर्मा
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केन्द्रीय विद्यालय जमालपुर
(पटना संभाग)
रस
कक्षा-दसवीं
सुमन शर्मा �प्रशिक्षित स्नातक शिक्षिका (हिंदी)�केन्द्रीय विद्यालय जमालपुर,
पटना संभाग
रस (अर्थ एवं परिभाषा)
रस (प्रमुख उदाहरण)
रस (याद रखने योग्य बिंदु)
रस (प्रमुख भेद)
रस (प्रमुख अंग)
रस (रस एवं स्थायी भाव)
सुमन शर्मा
रस अर्थ एवं परिभाषा
सुमन शर्मा
रस के प्रमुख अंग
स्थायी भाव
अनुभाव
विभाव
संचारी भाव
1. आलंबन विभाव
2. उद्दीपन विभाव
1. कायिक
2. वाचिक
3. सात्त्विक
4. आहार्य
इनकी संख्याएँ 33 होती हैं
सुमन शर्मा
रस के अंग (संक्षिप्त विवरण)
स्थायी भाव
सहृदय के मन में जो भाव वासना या संस्कार के रूप में सदैव स्थायी रूप से विद्यमान रहते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं-
विभाव
स्थायी भावों को जाग्रत करने वाले अथवा जगाने वाले भावों को विभाव कहते हैं-
आलंबन विभाव
जिस व्यक्ति, वस्तु या स्थिति को देखकर हृदय में जो भाव जगता है-
उद्दीपन विभाव
जो आलंबन द्वारा उत्पन्न भावों को उद्दीप्त अथवा तीव्र(बढ़ाते) करते हैं-
अनुभाव
स्थायी भाव के उद्दीप्त होने पर आलंबन द्वारा जो चेष्टाएँ की जाती हैं-
* कायिक- पात्रों की आंगिक चेष्टाएँ
* वाचिक- वाणी का व्यवहार
* सात्त्विक- हृदय की स्वाभाविक चेष्टाएँ
* आहार्य- कृत्रिम वेशभूषा आदि
संचारी भाव (व्यभिचारी भाव)
आश्रय के हृदय में स्थायी भाव के साथ-साथ आते-जाते रहने वाले अन्य भावों को संचारी भाव कहते हैं- इनकी संख्याएँ तैंतीस होती हैं- ग्लानि, स्तंभ, हर्ष, चपलता आलस्य, दीनता उग्रता आदि
सुमन शर्मा
प्रमुख रस एवं उनके स्थायी भाव
सुमन शर्मा
प्रमुख रस एवं उनके उदाहरण
उदाहरण- “ बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, (संयोग शृंगार रस)
सौंह करे भौंहनि हँसै , देन कहे नटि जाय II’’
उदाहरण- “वीर तुम बढ़े चलो ,धीर तुम बढ़े चलो,
सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो ,
वीर तुम बढ़े चलो ,धीर तुम बढ़े चलोII”
सुमन शर्मा
प्रमुख रस एवं उनके उदाहरण
उदाहरण- “एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय� विकल बटोही बीच ही, पड्यो मूर्च्छा खायII”
उदाहरण- “श्रीकृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे I
सब शील अपना भूलकर, करतल युगल मलने लगे II”
सुमन शर्मा
प्रमुख रस एवं उनके उदाहरण
उदाहरण- “आँखे निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते,� शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला चुभलाकर खातेII”
उदाहरण- “अब कौन होगा जग का रखवाला होती ये हैरानी,
“हाय! देखो कैसी विडम्बना, स्वर्ग सिधारे स्वामीII”
सुमन शर्मा
प्रमुख रस एवं उनके उदाहरण
उदाहरण- “मेरो मन अनंत कहाँ सुख पावे,
जैसे उड़े जहाज को पंछी ,
फिरि जहाज पे आवे I”
उदाहरण- बेटा बोला बाप से, फर्ज करो निज पूर्ण,
सब धन मेरे नाम कर, खाओ कायम चूर्णII”
सुमन शर्मा
प्रमुख रस एवं उनके उदाहरण
उदाहरण- “देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया,� क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल कायाII”
उदाहरण- “यशोदा हरि पालने झुलावै ,
हलरावै-दुलरावै जोई सोई गावै I”
सुमन शर्मा
रस (याद रखने हेतु प्रमुख बिंदु)
सुमन शर्मा
सुमन शर्मा
धन्यवाद