����वितान(भाग-1) � हिन्दी (आधार) पाठ्य पुस्तक�कक्षा -11�प्रकरण: लेखकों के बारे में �1. कुमार गंधर्व�2. अनुपम मिश्र�3. बेबी हालदार
प्रस्तुति---
जगदीश प्रसाद
स्नातकोत्तर शिक्षक (हिंदी)
ज. न. वि. कालंद्री, सिरोही, राज.
कुमार गंधर्व
गायन शैलिय़ाँ
कुमार द्वारा लिखी गई कई रचनाएँ /पद
उड़ जायेगा हंस अकेला…… ,
बोर चैता…..
झीनी झीनी चदरिया…..,
सुनता है गुरु ज्ञानी……, आदि है.
रचनाएँ
सक्रिय वर्ष एवं पुरस्कार
जीवन परिचय��
कुमार गंधर्व जी ने विवाह, 1947 में भानुमती, जो स्वयं एक अच्छी गायिका थीं, से किया और देवास, मध्य प्रदेश आ गये। यहाँ आने के बाद वे इन्दौर गये और इन्दौर वे गाना गाने नहीं मालवा की समशीतोष्ण जलवायु में स्वास्थ लाभ करने आए थे। उन्हें टी .बी थी जिसका उन दिनों कोई पक्का इलाज़ नहीं था।
कुमार जी की पत्नी भानुमती ख़ुद एक गायिका थीं। देवास के एक स्कूल में पढ़ा कर गायक पति का इलाज और घर चलाती थीं। जितनी सुन्दर थीं उतनी ही कुशल गृहणी नर्स थीं। कुमार जी स्वस्थ होकर फिर से वह नई तरह का गायन कर सके इसका श्रेय भानुताई को ही दिया जाना चाहिए।
नये कुमार गंधर्व�
जिस घर में कुमार जी स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे, वह देवास के लगभग बाहर था, और वहां हाट लगा करता था। कुमार जी ने वहीं बिस्तर पर पड़े पड़े मालवी के खांटी स्वर महिलाओं से सुने। वहीं पग- पग पर गीतों से चलने वाले मालवी लोक जीवन से उनका साक्षात्कार हुआ। संगीत वे सीखे हुए थे और शास्त्रीय गायन में उनका नाम भी था। लेकिन स्वस्थ होते हुए और नया जीवन पाते हुए उनमें एक नए गायक का भी जन्म हुआ। सन 1952 के बाद जब वे ठीक होकर गाने लगे तो पुराने कुमार गन्धर्व नहीं रह गये थे। मालवा के अन्यतम गायक कुमार गंधर्व का जन्म था।
निधन �
2. अनुपम मिश्र
अनुपम मिश्र
रचनाएँ
प्रमुख पुरस्कार
अनुपम मिश्र का व्यक्तित्व और कृतित्व ��
अनुपम मिश्र जाने माने लेखक, संपादक, छायाकार और गांधीवादी पर्यावरणविद् थे। अनुपम मिश्र दिल्ली विश्वविद्यालय से 1968 में संस्कृत में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त थे।
पर्यावरण-संरक्षण के प्रति जनचेतना जगाने और सरकारों का ध्यानाकर्षित करने की दिशा में वह तब से काम कर रहे थे, जब देश में पर्यावरण रक्षा का कोई विभाग नहीं खुला था। आरम्भ में बिना सरकारी मदद के अनुपम मिश्र ने देश और दुनिया के पर्यावरण की जिस तल्लीनता और बारीकी से खोज-खबर ली है, वह कई सरकारों, विभागों और परियोजनाओं के लिए भी
संभवतः संभव नहीं हो पाया है।
उनकी कोशिश से सूखाग्रस्त अलवर में जल संरक्षण का काम शुरू हुआ जिसे दुनिया ने देखा और सराहा। सूख चुकी अरवरी नदी के पुनर्जीवन में उनकी कोशिश काबिले तारीफ रही है। इसी तरह उत्तराखण्ड और राजस्थान के लापोड़िया में परंपरागत जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में उन्होंने महत्वपूर्ण काम किया है
उत्तरदायित्व
गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली में उन्होंने पर्यावरण कक्ष की स्थापना की। वह इस प्रतिष्ठान की पत्रिका गाँधी मार्ग के संस्थापक और संपादक भी थे। उन्होंने बाढ़ के पानी के प्रबंधन और तालाबों द्वारा उसके संरक्षण की युक्ति के विकास का महत्त्वपूर्ण काम किया था।
वे 2001 में दिल्ली में स्थापित सेंटर फार एनवायरमेंट एंड फूड सिक्योरिटी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। चंडी प्रसाद भट्ट के साथ काम करते हुए उन्होंने उत्तराखंड के चिपको आंदोलन में जंगलों को बचाने के लिये सहयोग किया था। वे जल-संरक्षक राजेन्द्र सिंह की संस्था तरुण भारत संघ के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे। 2009 में उन्होंने टेड (टेक्नोलॉजी एंटरटेनमेंट एंड डिजाइन) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित किया था।
3. बेबी हालदार
बेबी हालदार
प्रारंभिक जीवन
विवाह
साहित्यक जीवन���
उनके अंतिम नियोक्ता, लेखक और सेवानिवृत विज्ञान प्रोफेसर प्रबोध कुमार और प्रख्यात हिंदी साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद के पोते, जो नई दिल्ली के एक उपनगर, गुड़गांव में रहते हैं, उन्होंने बेबी हालदार को पढ़ने और लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उसे एक नोटबुक और पेन दिया और उसे अपनी जीवन कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। कई महीनों के बाद, जब उनके संस्मरण पूरे हुए, तो कुमार ने पांडुलिपि के संपादन में सहायता की, इसे स्थानीय साहित्यिक मंडली के साथ साझा किया और इसका हिंदी अनुवाद किया ।
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यह संस्करण 2002 में कोलकाता के एक छोटे प्रकाशन गृह, रोशनी पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित किया गया था। एशिया में घरेलू नौकरों के कठिन जीवन पर प्रकाश डालने के साथ ही इसने व्यापक मीडिया का ध्यान आकर्षित किया और दो साल के भीतर इसने दो और संस्करण प्रकाशित किए।
2005 में एक मलयालम संस्करण दिखाई दिया और अंग्रेजी अनुवाद 2006 में प्रकाशित हुआ। जल्द ही इसे 21 भाषाओं में अनुवादित किया गया, जिसमें 13 विदेशी भाषाएं शामिल हैं, जिनमें फ्रेंच, जापानी और कोरियाई शामिल हैं। पुस्तक का जर्मन में 2008 में अनुवाद किया गया है।
मूल्यांकन प्रश्न
गृहकार्य
1.कुमार गंधर्व
2.अनुपम मिश्र
3.बेबी हालदार
धन्यवाद