कक्षा 11�विषय- हिंदी (कोर)�पुस्तक का नाम- आरोह भाग- 1�पद्य भाग�
पाठ का नाम- चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती�कवि का नाम- त्रिलोचन शास्त्री
त्रिलोचन शास्त्री जी का परिचय - त्रिलोचन शास्त्री जी का मूल नाम वासुदेव सिंह है, इनका जन्म सन् 1917 चिरानी पट्टी जिला सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश में हुआ I
प्रमुख रचनाएं- धरती, गुलाब और बुलबुल, दिगंत, ताप के ताए हुए दिन, शब्द, उस जनपद का कवि हूं, अमोला, मेरा घर, जीने की कला ( काव्य); देश काल, रोजनामचा, मुक्तिबोध की कविताएं ( गद्य)
हिंदी के अनेक कोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रमुख सम्मान- साहित्य अकादमी सम्मान, श्लाका सम्मान, महात्मा गांधी पुरस्कार आदि। हिंदी साहित्य में त्रिलोचन प्रगतिशील काव्य धारा के प्रमुख कवि के रूप में जाने जाते हैं रागात्मक संयम और लयात्मक अनुशासन के कवि होने के साथ यह बहुभाषा विज्ञ शास्त्री भी हैं। इसीलिए इनके नाम के साथ शास्त्री भी जुड़ गया लेकिन यह शास्त्रीयता उनकी कविता के लिए बोझ नहीं बनती।
इनके यहां प्रबल आवेग और त्वरा की अपेक्षा उनके यहां काफी कुछ स्थिर है इनकी भाषा छायावादी रूमानियत से मुक्त है तथा उस का ठाठ ठेठ गांव की जमीन से जुड़ा हुआ है त्रिलोचन जी हिंदी में सोनेट्स अंग्रेजी के छंद को स्थापित करने वाले कवि के रूप में भी जाने जाते हैं । त्रिलोचन का कवि बोलचाल की भाषा को चुटीला और नाटकीय बनाकर कविताओं को नया आयाम देता है।
कविता की प्रस्तुति का अंदाज कुछ ऐसा है कि वस्तु और रूप की प्रस्तुति का भेद नहीं रहता।
यहां प्रस्तुत चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती नामक कविता धरती संग्रह में संकलित है यह पलायन के ब्लॉक अनुभवों को मार्मिकता से अभिव्यक्त करती है कविता में अक्षरों के लिए काले-काले विशेषण का प्रयोग किया गया है जो एक और शिक्षा व्यवस्था के अंतर्विरोध को उजागर करता है
दूसरी ओर उस दारूण यथार्थ से भी हमारा परिचय कराता है जहां आर्थिक मजबूरियों के चलते घर टूटते हैं काव्य नायिका चंपा अनजाने ही उस शोषक व्यवस्था के प्रतिपक्ष में खड़ी हो जाती है जहां भविष्य को लेकर उसके मन मेंअनजान खतरा है वह कहती है कलकत्ते पर वज्र गिरे I
कलकत्ते पर वज्र गिरने की कामना जीवन के खुरदरे यथार्थ के प्रति चंपा के संघर्ष और जीवट को प्रकट करती है।
कवि त्रिलोचन जी द्वारा रचित चंपा काले काले अच्छर नहीं चीन्हती कविता लोक भावनाओं से जुड़ी हुई है सुंदर नामक ग्वाले की लड़की चंपा ठेठ है अनपढ़ है वह पशु चराती है उसे काले अक्षरों में छिपे स्वरों पर आश्चर्य होता है I
वह कवि के साथ शरारत करते हुए कभी उसकी कलम चुरा लेती है कभी कागज गायब कर देती है वह कवि को दिन भर कागज गोदते रहने पर शिकायत भी करती है और कहती है कि पढ़ना लिखना
क्यों करते हो ।
कवि उसको समझाते हैं कि वह भी पढ़ना लिखना सीख ले पढ़ाई जीवन में बहुत कम आती है और उसको पढ़ाई की तरफ आकर्षित करने के उद्देश्य से वह कहते हैं कि गांधी बाबा भी यही चाहते हैं I
हमारे देश की लड़कियां पढ़े लिखे और आत्मनिर्भर बने। परंतु चंपा पढ़ने लिखने से मना करती है तो कवि उसको समझाते हैं कि जब आपकी शादी हो जाएगी उसका बालम कमाने के उद्देश्य से कलकत्ता चला जाएगा तब वह उसे पत्र कैसे लिखेंगी इस पर चंपा प्रतिउत्तर देती हुई कहती है कि आग लगे कलकत्ता को वह तो अपने बालम को कलकत्ता नहीं जाने देगी उसे अपने पास ही रखेगी और कहती है कि वज्र गिरे कलकत्ते पर।