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लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप�

संजीव कुमार 

स्नातकोत्तर शिक्षक हिन्दी

(जवाहर नवोदय विद्याला सोनीपत)

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पॉवरपॉइंट प्रदर्शन के संबंध में .......

शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौंदर्य

प्रश्न

पॉवरपॉइंट संचालित करने में नीचे दिए गए बटन सहायक होंगे l बटनों पर एक क्लिक करके स्लाइड में प्रदर्शित सामग्री को देखा जा सकता है और उन्हीं बटनों पर पुन: क्लिक करके सम्बंधित सामग्री को हटाया भी जा सकता है l इस प्रकार एक ही स्लाइड में प्रदर्शित सामग्री को एक से अधिक बार देखा और हटाया जा सकता है l

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अनुक्रम

4

  1. तुलसीदास का जीवन परिचय एवं साहित्यिक अवदान
  2. तुलसीदास की काव्यगत विशेषताएँ
  3. तुलसीदास की भाषा – शैली
  4. तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ
  5. तुलसीदास पर......... कवियों/रचनाकारों के उद्गार
  6. रामचरितमानस और जायसीकृत पाद्मावत का संक्षित परिचय
  7. सारणी: रस विवेचना (संक्षिप्त रस परिचय)
  8. लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप (काव्यांश)
  9. ‘लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप’ का सारांश
  10. लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप - शब्दार्थ,भावार्थ, काव्य-सौष्ठव एवं महत्त्वपूर्ण प्रश्न काव्य में प्रयुक्त छंदों का परिचय
  11. तुलसीदास विभिन्न स्मारक छवियों में

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परिचय

  • तुलसीदास की माता का नाम हुलसी देवी जबकि पिता का नाम आत्माराम दुबे थे। इनके बचपन का नाम रामबोला था l
  • इनके जन्म स्थान के विषय में मतभेद हैं कुछ विद्वान एटा जिले के सोरों को इनका जन्म स्थान मानते हैं l
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल सहित अधिकांश विद्वान राजापुर को ही तुलसीदास का जन्म स्थान मानते हैं l
  • जन्म के अगले दिन ही उनकी माता का निधन हो गया l अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण पिता ने किसी और

दुर्घटनाओं से बचने के लिए इनको चुनिया नामक एक दासी को सौंप दिया और स्वयं सन्यास धारण कर लिया ।

  • तुलसीदास का विवाह रत्नावली से हुआ था l रत्नावली की फटकार से ही वे वैरागी बनकर रामभक्ति में लीन हो गए थे।
  • तुलसीदास की गुरु परम्परा राघवानंद रामानंद अनंतानंद नरहर्यानन्द (नरहरि दास) तुलसीदास
  • गोस्वामी तुलसीदास के दीक्षा गुरु नरहर्यानन्द को एवं शिक्षा गुरु शेष सनातन को माना जाता है l
  • तुलसीदास ने काशी में प्रसिद्ध गुरु शेष सनातन से संस्कृत व्याकरण समेत चार वेदों एवं 6 वेदांग का ज्ञान लिया l
  • विद्याध्ययन के पश्चात ये अपने गाँव राजापुर वापस आकर भिक्षाटन कर जीवन यापन करते हैं l
  • गोस्वामी तुलसीदास कृत 12 ग्रंथों को ही प्रामाणिक माना जाता है l इनमें 5 बड़े और 7 छोटे ग्रन्थ हैं l

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तुलसी दास जी की काव्यगत विशेषताएँ-

  • गोस्वामी तुलसीदास रामभक्ति शाखा के सर्वोपरि कवि हैं।
  • तुलसीदास लोकमंगल की साधना के कवि के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यह तथ्य न सिर्फ़ उनकी काव्य-

संवेदना की दृष्टि से, वरन काव्यभाषा के घटकों की दृष्टि से भी सत्य है।

  • इसका सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि शास्त्रीय भाषा (संस्कृत) में सर्जन-क्षमता होने के बावजूद इन्होंने

लोकभाषा अवधी व ब्रजभाषा) को साहित्य की रचना का माध्यम बनाया।

  • तुलसीदास में जीवन व जगत की व्यापक अनुभूति और मार्मिक प्रसंगों की अचूक समझ है। यह

विशेषता उन्हें महाकवि बनाती है।

  • ‘रामचरितमानस’ में प्रकृति व जीवन के विविध भावपूर्ण चित्र हैं, जिसके कारण यह हिंदी का अद्वतीय

महाकाव्य बनकर उभरा है। इसकी लोकप्रियता का कारण लोक-संवेदना और समाज की नैतिक बनावट

की समझ है।

  • तुलसी के सीता-राम ईश्वर की अपेक्षा इनके के देशकाल के आदशों के अनुरूप मानवीय धरातल पर

पुनः सृष्ट चरित्र हैं।

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तुलसी दास जी की भाषा – शैली

  • गोस्वामी तुलसीदास अपने समय में हिंदी-क्षेत्र में प्रचलित सारे भावात्मक

तथा काव्यभाषायी तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

  • तुलसीदास की काव्य – रचना में भाव-विचार, काव्यरूप, छंद तथा

काव्यभाषा की बहुल समृद्ध मिलती है।

  • तुलसीदास अवधी तथा ब्रजभाषा की संस्कृति कथाओं में सीताराम और

राधाकृष्ण की कथाओं को साधिकार अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाते हैं।

  • उपमा अलंकार के क्षेत्र में जो प्रयोग-वैशिष्ट्य कालिदास की पहचान है, वही

पहचान सांगरूपक के क्षेत्र में तुलसीदास की है।

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गोस्वामी तुलसीदास की प्रमुख कृतियाँ

रचना

संक्षित परिचय

रामचरितमानस

“रामचरित” (राम का चरित्र) तथा “मानस”(सरोवर) शब्दों के मेल से “रामचरितमानस” शब्द बना है l अत: रामचरितमानस का अर्थ है “राम के चरित्र का सरोवर”l

दोहावली

दोहावली में दोहा और सोरठा की संख्या 573 है l इन दोहों में से अनेक दोहे तुलसीदास के अन्य ग्रंथों में भी मिलते हैं और उनसे लिए गए हैं l

कवितावली

कवितावली की रचना कवित्त, चौपाई, सवैया आदि छंदों में की गय है l कवितावली में सात काण्ड हैं l

गीतावली

गीतावली, सात कांडों वाली एक और रचना है, जो श्री रामचंद्र जी की कृपालुता, राम कथा तथा रामचरित से संबंधित है l

विनयपत्रिका

विनय पत्रिका में 279 स्तुति गान है l जिनमें प्रथम ४३ स्तुतियाँ विविध देवताओं की हैं और शेष श्री रामचंद्र जी की l

कृष्ण गीतावली

इसमें श्रीकृष्ण जी की 61 स्तुतियाँ है l उनकी बाल्यावस्था और ‘गोपी-उद्धव संवाद’ के प्रसंग व शैली अत्यधिक सुन्दर है l

रामलला नहछू

रचना सोहर छंदों में है l राम के विवाह के अवसर के नहछू का वर्णन कराती है l नहछू नख काटने की रीति हैl

वैराग्य संदीपनी

यह चौपाई-दोहों में रची हुई है l दोहे और सोरठे 48 तथा चौपाई की चतुष्पदियाँ चौदह हैं l

रामाज्ञा प्रश्न

रचना अवधी में है और तुलसीदास की प्रारम्भिक कृतियों में है l यह शुभाशुभ फल विचार के लिए रची गयी हैl

जानकी मंगल

इसमें श्री जानकी जी तथा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंगलममय विवाहोत्त्सव का बहुत ही मधुर शब्दों में वर्णन किया है l

सतसई

दोहों का एक संग्रह ग्रन्थ है l इनमें से अनेक दोहे ‘दोहावली’ सहित तुलसी के अन्य ग्रंथों में भी मिलते हैं या उनसे लिए गए हैं l

पार्वती मंगल

इसका विषय शिव-पार्वती विवाह है l ‘जानकी मंगल’ की भांति यह भी सोहर और हरिगीतिका छंदों में रची गयी है l

बरवै रामायण

बरवै रामायण रचना के मुद्रित पाठ में स्फुट 69 बरवै हैं, जो ‘कवितावली’ की ही भांति सात काण्डों में विभाजित है l

हनुमान चालीसा

यह अत्यंत लघु रचना है इसमें श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है l

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नाभादास कलिकाल का वाल्मीकि

रामविलास शर्मा जातीय कवि

अमृतलाल नागर मानस का हंस

स्मिथ मुगलकाल का सबसे महान व्यक्ति

ग्रियर्सन बुद्धदेव के बाद सबसे बड़ा लोक-नायक

बाबू गुलाब राय सुमेरु कवि गोस्वामी तुलसीदास

भिखारीदास तुलसी गंग दुवौ भए सुकविन के सरदार l

इनके काव्यन में मिली भाषा विविध प्रकारll

रहीमदास रामचरितमानस विमल, संतन जीवन प्रान l

हिन्दुवान को वेद सम, यवनहिं प्रकट कुरान ll

हजारीप्रसाद द्विवेदी भारतवर्ष का लोकनायक वही हो सकता है

जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर आया हो

रामचंद्र शुक्ल यह एक कवि ही हिन्दी को प्रौढ़ साहित्यिक

भाषा सिद्ध करने के लिए काफी है l

सुमित्रा नंदन पन्त कविता करके तुलसी न लसे,

कविता लसी पा तुलसी की कला

तुलसीदास के सन्दर्भ में विद्वानों के उद्गार .......

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रामचरितमानस और पद्मावत

जायसी ने पद्मावत को फारसी मे लिखा था और बाद में इसकी कई पांडुलिपियाँ अरबी और कैथी लिपि में भी पाई गईं। जब तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ लिखना शुरू किया तो उन्होंने ‘पद्मावत’ की दोहा-चौपाई संरचना अपनाई। जायसी की इस छंद-योजना का चरम विकास तुलसी के 'रामचरितमानस' में प्राप्त होता है।

अंतर केवल भाषा का था । जायसी की अवधी में बोलचाल का पूरा जायका था जबकि तुलसीदास ने अपनी काव्यात्मक भाषा गढ़ी जिसमें संस्कृत शब्दों का सबसे न्यायसंगत और रचनात्मक उपयोग था और उन्हें इतनी खूबसूरती से अवधी के साथ बरता गया कि वे कहीं से बाहरी नहीं लगते।

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लक्ष्मण-मूर्छा और राम का विलाप

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लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप कविता का सारांश

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

दोहा

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

तव

तुम्हारा, आपका

अस

इस तरह

प्रताप

यश

आयसु

आज्ञा

उर

हृदय

पाइ

पाकर

राखि

रखकर

पद

चरण, पैर

जैहऊँ

जाऊँगा

बंदि

वंदना करके

नाथ

स्वामी

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

दोहा

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

बहु

भुजा

महुँ

में

सील

सद्व्यवहार

सराहत

बड़ाई करते हुए

गुन

गुण

फिर-फिर

फिर-फिर

प्रीति

प्रेम

हनुमान

हनुमान

अपार

अधिक

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

चौपाई

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

उहाँ

वहाँ

काऊ

किसी प्रकार

लछिमनहि

 लक्ष्मण को

मृदुल

कोमल

निहारी

देखा

सुभाऊ

स्वभाव

मनुज

 मनुष्य

मम- हित

मेरा भला

अनुसारी

समान

तजहु

 त्याग दिया

अर्द्ध-राति

आधी रात

सहेहु

सहन किया

कपि

 बंदर (हनुमान)। 

बिपिन

 जंगल

आयउ

आया

हिम

बर्फ

अनुज

 छोटा भाई

आतप

 धूप

सकहु

 सके

बाता

हवा, तूफ़ान

मोहि

मुझे

तव

 तेरा

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

चौपाई

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

सो

वह

नारि

स्त्री, पत्नी

अनुराग-

प्रेम

होहिं

आते हैं

वच

वचन

जाहि

जाते हैं

बिकलाई

व्याकुल

जग

संसार

जों

यदि

बारहिं बारा

 बार-बार

जनतेऊँ

जानता

अस

ऐसा, इस तरह

बिछोहू

बिछड़ना, वियोग

बिचारि

सोचकर

मनतेऊँ

मानता

जिय

मन में

ओहू

उस।

ताता

 भाई के लिए संबोधन

बित

धन

सहोदर

एक ही माँ की कोख से जन्मे

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

चौपाई

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

जथा

 जिस प्रकार

दैव

भाग्य

बिनु

के बिना

जिआवै-

जीवित रखे

दीना

दीन-हीन

मोही

मुझे

मनि

 नागमणि

जैहऊँ

 जाऊँगा

फनि- 

 फन (यहाँ-साँप)

कवन

कौन

करिबर

 श्रेष्ठ हाथी

मुहुँ-

मुहुँ- मुख

कर

 सूंड़

हेतु

के लिए

हीना

से रहित

गँवाई

 खोकर

मम-

 मेरा

बरु

चाहे

जिवन

जीवन

अपजस

 अपयश

बंधु

 भाई

सहतेऊँ

सहन करता

तोही

 तुम्हारे

माहीं

 में

जौं

यदि

बिसेष

 खास

जड़

कठोर

छति-

 हानि, नुकसान

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

चौपाई

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

अपलोकु

अपयश

सौंपेसि

सौपा था

सहिहि  

सहन कर लेगा

मोह

मुझे

निठुर

 कठोर

गहि

पकड़कर

उर

हृदय

पानी

हाथ

निज

अपनी

हित

हितैषी

जननी

माँ

जानी

जानकर

कुमारा

 पुत्र

उतरु

उत्तर

तात

भाई

काह

क्या

तासु

उसके

तेहि

उसे

प्रान अधारा

प्राणों के आधार

किन

क्यों नहीं

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

चौपाई

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

स्रवत

बहता है

उमा

पार्वती

सलिल

 जल

अखण्ड

वियोग रहित

राजिव

कमल

गति

दशा

दल

दोनों

कृपाल

कृपा करने वाले

लोचन

नेत्र

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

सोरठा

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

प्रलाप 

 तर्कहीन वचन-प्रवाह।

जिमि

जैसे

विकल

परेशान

महँ

 में

निकर

 समूह

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

चौपाई

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

हरषि 

खुश होकर

भ्राता

भाई

भेटेउ

गले लगाकर

प्रेम प्रकट किया

हरषे

खुश हुए

अति

 बहुत अधिक

सकल

समस्त

कृतग्य

आभार

ब्राता

समूह, झंड

सुजाना

अच्छा ज्ञानी, समझदार

ताहि

उसको

बैद

वैद्य

पुनि

दुबारा

कीन्हि

किया

लई आवा

 लेकर आए थे।

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

चौपाई

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

कथा

कहानी

सुररिपु

देवताओं का शत्रु

तेहि

 उस

मनुज अहारी

 नरांतक

जेहि

जिस

भट

योद्धा

हरि

हरण करके

अतिकाय

एक राक्षस का नाम

आनी

लाए

अपर

 दूसरा

कपिन्ह

हनुमान आदि वानर

महोदर

एक राक्षस का नाम

महा महा

बड़े – बड़े

आदिक

आदि

जोधा

योद्धा

समर

युद्ध

संहारे

संहार किया

महि

धरती

दुर्मुख

एक राक्षस का नाम

रनधीरा

रणधीर

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शब्दार्थ

भावार्थ

काव्य सौन्दर्य

प्रश्न

दोहा

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शब्द

अर्थ

शब्द

अर्थ

दसकंधर

 रावण

आनि

लाकर

बिलखान

दुखी होकर रोने लगा

सठ

मूर्ख

जगदंबा

जगत-जननी

कल्यान

कल्याण, शुभ

हरि

 हरण करके

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तुलसीदास विभिन्न स्मारक छवियों में.........

तुलसी जन्म कुटीर राजापुर,बाँदा

(अब चित्रकूट)

तुलसीदास के शिष्य परम्परा में मूल प्रति के उत्तराधिकारी

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तुलसीदास विभिन्न स्मारक छवियों में.........

तुलसी जन्म कुटीर, यमुना तट राजापुर, बाँदा (अब चित्रकूट)

रामचरित मानस की प्राचीन पांडुलिपि

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धन्यवाद