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ज्ञान गोष्ठी - QUIZ No. 20
विषय : सम्यकचारित्र, प्रश्न : 310 to 328
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१. "चरित्र खल्लु घम्मो" - उसका अर्थ क्या है ?
*
1 point
चारित्र ही धर्म है ,मोक्षमार्ग है
दर्शन ही धर्म है ,मोक्षमार्ग है
ज्ञान ही धर्म है ,मोक्षमार्ग है
२. शुद्ध ज्ञानस्वरुप आत्मामें रमण करना क्या है?
*
1 point
ज्ञान
दर्शन
चारित्र
३. चारित्र के लिए क्या करना चाहिए ?
*
1 point
स्व-पर के यथार्थ स्वरुप का निर्णय करना
जिसमें स्थिर होना है, ऐसे आत्माका यथार्थ स्वरुप का निर्णय करना
ऊपर दिए गए सभी विकल्प सहीं है
४. जगतके सभी पदार्थ कैसे परिणमते है?
*
1 point
अपने स्वभाव सामार्थ्य द्वारा उत्पाद-व्यय-ध्रुव रुप
परस्पर निमित्त द्वारा कर्ता-कर्म रुप
५. यह जगतमें, मैं स्वभाव से कैसा हुँ ?
*
1 point
ज्ञायक
ज्ञेय
ज्ञाता
ऊपर दिए गए सभी विकल्प सहीं है
६. यह जगतमें, जड़-चेतन पर पदार्थ मेरे से कैसे है ?
*
1 point
भिन्न, ज्ञेय
ज्ञाता
ऊपर दिए गए सभी विकल्प सहीं है
७. निज स्वरुप में उपयोग स्थिर करने से क्या होता है?
*
1 point
स्वरुप आचरण रुप चारित्र प्रगट होता है
मोक्षमार्ग में प्रवर्तन किया ऐसा कहा जाता है
ऊपर दिए गए सभी विकल्प सहीं है
८. पर वस्तु का ग्रहण और त्याग कौन कर सकता है ?
*
1 point
प्रत्येक जीव
मात्र सम्यकद्रष्टि
मात्र सिघ्घ भगवान
कोई भी जीव पर वस्तु का ग्रहण और त्याग नहीं कर सकता
९. त्याग और व्रतादि क्रिया सच्चा चारित्र है क्या ?
*
1 point
हाँ
नहीं
१०. आत्मा स्वरुप में विचरण के लिए क्या करना चाहिए ?
*
1 point
पंच महाव्रतादि क्रिया में प्रवृत रहना
विकार का त्याग करना
११. विकार का त्याग करने के लिए क्या करना चाहिए ?
*
1 point
विकार से भिन्न स्वभाव की प्रतिती करना
सम्यकदर्शन के द्वारा राग से भिन्न स्वभाव की श्रद्धा करना
ऊपर दिए गए सभी विकल्प सहीं है
१२. सच्चा त्याग किसको होता है?
*
1 point
सम्यकद्रष्टि को
मिथ्याद्रष्टि को
१३. वस्तु स्वरुप का यथार्थ निर्णय करने वाला जीव पर द्रव्य की क्रिया को अपनी मानता है क्या?
*
1 point
हाँ
नहीं
१४. वस्तु स्वरुप का यथार्थ निर्णय करने वाला जीव पर द्रव्य में प्रवृत्ति रुप क्रिया से अपने को रहित (निष्क्रिय) मानता है क्या?
*
1 point
हाँ
नहीं
१५. वस्तु स्वरुप का यथार्थ निर्णय करने वाला जीव अपने को पर द्रव्य को भोगने वाला मानता है क्या?
*
1 point
हाँ
नहीं, निर्भोग स्वरुप मानता है
१६. मुनिगण पंच महाव्रत करते है , निरतिचार पालन करते है?
*
1 point
हाँ
नहीं, मात्र शुभराग को भोगते है ( धवला १ & १२)
१७. बाह्य क्रियारुप चारित्र सच्चा नहीं हैं क्योंकि?
*
1 point
वह आत्मद्रव्य का स्वभाव रुप नहीं है
पुद् गल द्रव्य का स्वभाव रुप होने से कर्मका उदय रुप कार्य है
ऊपर जिए गए सभी विकल्प सहीं है
१८. अभेदरुप आत्माकी अनुभूति होने के बाद व्रतादि की ज़रुर नहीं है?
*
1 point
हाँ
नहीं, शुद्धता की वृद्धि अनुसार व्रतादि का राग आता है और उस योग्य प्रवृत्ति भी होती है
१९. व्रतादि विकल्पो को मिथ्याद्रष्टि कैसा जानता है?
*
1 point
उसमें (व्रतादि) धर्म नहीं है ऐसा मानता है
व्रतादि के रागसे लाभ मानता है
२०. व्रतादि विकल्पो को सम्यकद्रष्टि (ज्ञानी) कैसा जानता है?
*
1 point
उसमें (व्रतादि) धर्म नहीं है ऐसा मानता है
व्रतादि के रागसे लाभ मानता है
२१. सच्चा समताभाव किसको होता है?
*
1 point
जो वस्तुको स्वतंत्र जाने
जो वस्तुको पराधीन जाने
२२. आत्मा के ज्ञानस्वभाव का अनादर करना वह क्या है?
*
1 point
विषमभाव
समताभाव
२३. दस लक्षण में लिलोतरी का त्याग करना - वह धर्म है क्या ?
*
1 point
हाँ, जीव पर वस्तुको ग्रहण या त्याग कर सकता है
नहीं, मात्र शुभराग है, मंद कषाय है
२४. सच्चा त्याग किसको कहते है?
*
1 point
"मैं पर वस्तुको ग्रहण या त्याग कर सकता हूँ" ऐसी विपरीत मान्यता का त्याग
पर्व के समय व्रतादि से अन्न , जल , लिलोतरी आदि का त्याग
२५. जड़ से और विकार से भिन्न अपने पूर्ण स्वभाव का श्रद्धामें स्वीकार करना वह?
*
1 point
सच्चा ग्रहण कहलाता है
सच्चा त्याग कहलाता है
ऊपर दिए गए सभी विकल्प सहीं है
२६. सम्यकदर्शन पूर्वक आंशिक वीतरागता प्रगट होना वह?
*
1 point
अस्तिरुप धर्म है
नास्तिरुप धर्म है
२७. मिथ्यात्व और कषाय का त्याग करना वह ?
*
1 point
अस्तिरुप धर्म है
नास्तिरुप धर्म है
२८. संयोग की द्रष्टि करने से क्या होता है?
*
1 point
धर्म
अधर्म
२९. स्वभाव की द्रष्टि करने से क्या होता है?
*
1 point
धर्म
अधर्म
३०. सर्व-विरति सामायिक किसको होती है?
*
1 point
मुनिओं को
अव्रति सम्यकद्रष्टि को
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