लेखक के अनुसार धर्म के विषय में जानने का अधिकार केवल कुछ विशेष लोगों को होना चाहिए।
धर्म का वास्तविक अर्थ है वह गुण, स्वभाव अथवा कर्तव्य, जो सृस्टि के हित के लिए धारण किया जाये।
लेखक के अनुसार धर्मोपदेशकों द्वारा धर्म की बनावट की बहुत सरल और आसान शव्दों में व्यख्या की है।
घड़ीसाजी का इम्तिहान पास करने से तात्पर्य है कि व्यक्ति अपने कार्य में निपुण हो गया।