समयसार - QUIZ No. 20
विषय : कलश २९ - अमृतचंद्राचार्य, गाथा ३४, ३५ - कुंदकुंदआचार्य

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समयसार अध्ययन वर्ष
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NOTE: कलश २९ - अमृतचंद्राचार्य, गाथा ३४, ३५ - कुंदकुंदआचार्य , मूल शास्त्र कलश, टीका, भावार्थ और चिंतन के बिंदु को पढ़कर उत्तर दीजिये |
समयसार परमागम गाथा ३४
समयसार परमागम गाथा ३४
१. ज्ञानमें ' अपने आत्मा के अलावा अन्य सर्व पदार्थ पर है ' - ऐसी त्यागरूप अवस्था को क्या कहते है ? *
1 point
२. आचार्यदेव ' ज्ञान ही प्रत्याख्यान ' ऐसा कहकर क्या उपदेश देते है ? *
1 point
३. आत्माने अनादिकाल से अन्य पर-पदार्थों को ग्रहण किया है और अब श्रीगुरु के उपदेश को मानकर पर-पदार्थों का त्याग कर सकता है - क्या यह कथन सत्यार्थ है ? *
1 point
४. जीव (आत्मा) जब प्रतिबुद्ध होता है तब उसने ' परद्रव्यों का त्याग ' किया ऐसा कहने में आता है - यह कैसा कथन है ? *
1 point
५. ' परभावों का त्याग ' का अर्थ क्या है ? *
1 point
६. मोहादि विभावभाव जीव के ही परिणाम है फिर भी उसका त्याग करने को क्यों कहा है ? *
1 point
समयसार परमागम गाथा ३५
समयसार परमागम गाथा ३५
७. धोबी के घर से लाये हुए वस्त्र के दृष्टांत में आचार्यदेव क्या कहते है ? *
1 point
८. मोहादि परिणाम जीव के ही परिणाम है और वह आत्मा का वास्तविक स्वरुप है - ऐसा कौन मानता है ? *
1 point
९. आत्मा का शुद्ध स्वरुप ज्ञायकभाव है, मोहादि भाव झूठे है, जीव का स्वरुप नहीं है  - यह मान्यता क्या है ? *
1 point
१०. ' परवस्तु के त्याग ' का सही व्यवहार क्रम क्या है ? *
1 point
समयसार परमागम कलश २९
समयसार परमागम कलश २९
११. अनुभव क्या है ? *
1 point
१२. ' अशुद्ध संस्कार ' क्या है ? *
1 point
१३. शुद्ध चिद्रूप आत्मवस्तु के अनुभव का क्रम क्या है ? *
1 point
१४. जो जीव(आत्मा) अपनी दृष्टि में ' परद्रव्यों और परभावों का त्याग ' कर देता है और ' ज्ञानस्वभाव में लीन ' होता है उसे क्या होता है ? *
1 point
१५. आत्मा अपने गुण-पर्यायों में व्याप्त है और परद्रव्यरूप नहीं होता - यह कौन सी पंक्ति में दर्शाया है ? *
1 point
जय जिनेन्द्र. आपने नई नोटबुक और डायरी में समयसार गाथाएँ लिखी  ? हर क़्विज में जो गाथाए आएगी वह लिखने से संपूर्ण समयसार अपने स्व-हस्ताक्षर में लिखा जायेगा और वह आपकी यादरूप बनेगा इस भावना से हमने गाथा लिखने का नक्की किया है. आपको अनुकूलता हो तो जरूर लिखे और दिन में गाथा को २-४ बार बोले.  
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