जहाँ सामान्य गुण पूर्णतः वास्तविक समझे जाते हैं एवं विशेष का अवास्तविक के रूप में निषेध हो जाता है।
जहाँ वस्तुएं सामान्य और विशेष गुणों वाली समझी जाती हैं और हम उनमें भेद नहीं कर पाते।
जहाँ यथार्थ का क्षण के साथ अभिज्ञान किया जाता है।
जहाँ वस्तुओं को केवल मूर्त विशेष समझ जाता हैं।