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ज्ञान गोष्ठी - QUIZ No. 23
विषय : मोक्षमार्ग, प्रश्न : 351 to 356
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१.जीव का मूल प्रयोजन क्या है ?
*
1 point
वीतराग भावकी प्राप्ति
सांसारिक सुख की प्राप्ति
२. पर्याय में राग होता है वह मिथ्यात्व का मूल कारण है क्या?
*
1 point
हाँ
नहीं, राग के साथ एकता - वह मिथ्यात्व का मूल कारण है
३. व्यवहार का आश्रय लेना (मानना) वह क्या है ?
*
1 point
मिथ्यात्व
सम्यक्त्व
४.अभेद स्वभावकी मुख्यता होते ही क्या होता है?
*
1 point
वीतरागी द्रष्टि प्रगट होती है
रागका निषेध स्वयं हो जाता है
उपर दीए गए सभी विकल्प सही है
५. "द्रव्य अनुसार चरण और चरण अनुसार द्रव्य " ( प्रवचनसार ) इसमें कहने का तात्पर्य क्या है ?
*
1 point
शुद्धता जितने प्रमाण में होती है उतने प्रमाण में रागकी मंदता होती है
रागकी मंदता जितने प्रमाण में होती है उतने प्रमाण में शुद्धता, अपने (शुद्धता) के कारण होती है
उपर दीए गए सभी विकल्प सही है
६.पर द्रव्यों को जाननें में परिणति (उपयोग) जाए तो वीतरागता बनी रहती है ?
*
1 point
हाँ, भूमिका अनुसार उतनी वीतरागता बनी रहती है
नहीं, वीतरागता नष्ट हो जाती है
७. केवली भगवान पर को जानते है तब उनका उपयोग कहॉ है?
*
1 point
परको जाननें में
स्व में ही लीन रहता है
८. चौथे गुणस्थान वाला जीव परलक्ष करें तब क्या होता है?
*
1 point
जब उपयोग परमें जाता है तब राग और विकल्प का सद्-भाव है
अनंतानुबंधी कषाय (राग-द्वेष) नहीं होता , उतनी आंशिक वीतरागता है
उपर दीए गए सभी विकल्प सही है
९. श्रद्धा और चारित्र के दोषमें सबसे बड़ा दोष कौनसा है ?
*
1 point
श्रद्धा का दोष
चारित्र का दोष
१०. आत्मज्ञान बिना श्रद्धा के दोष वाले जीव कहॉ जाते है?
*
1 point
मोक्ष में जाते है
नरक - निगोद (संसारमें) रहते है
११. आत्मज्ञानी जीव जब सांसारिक कार्य में प्रवर्तन करते है तब?
*
1 point
रागका, शरीरादि क्रिया का कर्ता बनते है
रागका, शरीरादि क्रिया का मात्र ज्ञाता रहते है
१२. किसकी मुक्ति अवश्य होती है?
*
1 point
श्रद्धा से भ्रष्ट जीव की, जिसका चारित्र सही है
चारित्र से भ्रष्ट जीव की, जिसकी श्रद्धा सही है
१३. जीन शासन किसे कहते है?
*
1 point
जिस श्रुतज्ञानकी वीतरागी पर्यायमें आत्मा अबद्धस्पृष्ट स्वरुप अनुभव में आता है
जिस श्रुतज्ञानकी पर्यायमें आत्मा विकार, अपूर्णता या भेदरुप अनुभव में आता है
१४. रत्नत्रय के धारक मुनिवरों को देवायु का बंध होता है वह?
*
1 point
निश्चय कथन है
व्यवहार कथन है
१५. रत्नत्रय का फल क्या है?
*
1 point
रत्नत्रय के सद्-भावमें जो शुभ प्रकृत्ति का बंध होता है उसके फल में देवायु का बंध होता है एसा उपचार सें कहने में आता है
निश्चय से रत्नत्रय का फल शुद्धोपयोग( वीतरागता) है
उपर दीए गए सभी विकल्प सही है
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