236. प्रच्छन्न बेरोज़गारी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें-
1.
जब किसी काम में ज़रूरत से ज़्यादा व्यक्ति शामिल रहते हैं, जबकि उतने
लोगों की ज़रूरत नहीं होती है, तब यह स्थिति प्रच्छन्न बेरोज़गारी (Disguised
unemployment) कहलाती है।
2.
प्रच्छन्न बेरोज़गारी कृषि में अधिक देखने को मिलती है।
3.
वर्तमान में भारत में कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोज़गारी की उत्पादकता ऋणात्मक है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?