मधुर काव्यांजलि
मधुर काव्यांजलि
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अपनी रचनायें 🌹🌹कविता गीत 🌹🌹माई लोगिन होतेंव त, चॅऊर दार निमारत रहितेंव ।साग भाजी घलो , मै सुधारत रहितेंव ।चुल्हा ल बार के अंधना चघाके, करछुल ल धरके मै खोवत रहितेंव ।माई लोगिन होतेंव त, , , , , , , , , कंहु डोकरी दाई होतेंव त, नाती नतनीन खेलावत रहितेंव ।समधी अऊ समधीन कहिके, नाती नतनीन ल ठगत रहितेंव ।डोकरा बबा बनके मैमेछा ल अईठत रहितेंव ।माई लोगिन होतेंव त, , , , , , , , , महतारी कंहु होतेंव त, लॅइका ल गोरस पियावत रहितेंव ।सास-ससुर अऊ पती ल, भात साग पोरसत रहितेंव ।कोनो महतारी के नोनी होतेंव त, पुतरी पुतरा घरबुंदिया खेलत रहितेंव ।माई लोगिन होतेंव त, , , , , , , , माई लोगिन होतेंव कंहु त, अंगना दुवारी ल बाहरत रहितेंव ।गोबर कचरा करके, मै छेना थोपत रहितेंव ।घर अंगना ल सुगघर मै , मया देके महकावत रहितेंव माई लोगिन होतेंव त, , , , , , , , , ✍️✍️रचनाकार ✍️✍️🙏श्री चुरामन साहू कसही पोस्ट टटेंगा 🙏🌹🌹16 अक्टूबर 2020🌹🌹 लिखें। *
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