दस लक्षण पर्व - उत्तम आर्जव
विषय : पूज्य गुरुदेव श्री के उत्तम आर्जव पर के प्रवचन

पूज्य गुरुदेव श्री के धर्म के दस लक्षण पर के प्रवचन पढ़कर उत्तर दीजिए | पुस्तक के लिए एडमिन से संपर्क करे |  

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1.      उत्तम ______________ का अर्थ है सम्यक्दर्शनपूर्वक वीतरागी सरलता |

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2.  आत्मा के ज्ञायकस्वरूप में ___________- का भाव ही उत्पन्न न होने देना उत्तम ______________ है |

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3.  चैतन्यस्वरूप की _____________ में वक्रता करके किसी विकल्प या व्यव्हार के आश्रय से _____________ मानना सो अनार्यता है |

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4. किसी पर के आश्रय से या पुण्य _____________ से आत्मा को लाभ मानना सो वक्रता है, _____________ है  |

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5.  व्यवहार ______________- भी रागरूप है, वह आत्मा का स्वरुप नहीं है |

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6.  आत्मा ज्ञान-आनंद की मूर्ति, _______________ से रहित है, उसे यथारूप ( जैसा है वैसा ) समझना और श्रद्धा में __________- न करना सो सम्यकदर्शनरूप सरलता है |   

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7.  जो बात मनमें हो वही ______________ से प्रगट करना उसे आर्जवधर्म कहते है और उससे विरुद्ध अर्थात मायासे दूसरेको ठगने का परिणाम सो ________________ है |

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8. _________________ से तो जैसा शुद्ध आत्मस्वभाव जाना है वैसा ही परिणमन पर्याय में हो जाना सो ही उत्तम सरलता धर्म है |

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9.  उस समय पूर्ण वीतरागता नहीं है और राग रह जाता है इससे उस ______________  आर्जवधर्म के फल में __________ मिलता है |

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10. सरलता के शुभ परिणाम या वक्रता के __________ परिणाम, इन दोनों से रहित एक ____________ आत्मा है, उसकी श्रद्धा-ज्ञान को ___________ रखना सो धर्म है |

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11. यदि एकबार भी ___________ की जाए तो अत्यंत कठिनाई से संचित किये हुए मुनि के गुण __________--अहिंसा आदिको ढक देती है अर्थात मायाचारी पुरुष के ______________ गुण भी आदरणीय नहीं रहते |

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12. जो अपने __________ दोषों को दोष के रूपमें नहीं जानता और उन्हें धर्म मानता है, वह वास्तवमें मायाचारी है | अपने दोष को छिपाने का भाव सो मायाचारी है |     

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13. यहाँ पर मुख्यतया _____________ की बात है | किन्तु _____________-गृहस्थों को भी स्वभाव के भानपूर्वक _______________ उत्तम, सरलभाव प्रगट करने का प्रयत्न करना चाहिए |

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14. जो शुभराग से धर्म मानता है ऐसा __________ जीव, चाहे जैसे सरलता का परिणाम रखे, छोटे से छोटे दोष को भी प्रगट करके ____________ ले तो भी उसके किंचित आर्जव धर्म नहीं है |

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15. जो श्रीगुरु आदि के ___________ को छिपाता है वह हो ______________ में भी सरल नहीं है , उसके उत्तम वीतरागी सरलता तो होती ही नहीं |

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