Registration Form To Join 302nd consecutive environmental Sunday programme "रूपांतरण: वृक्षों के संग नवजीवन का सृजन" (7 April 2024, 7:00am to 10:00am : Venue - Senate Hall, Gujarat University, Navrangpura, Ahmedabad-380009) 
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(Honourable Speaker) Dr. Chinmay Pandyaji 
Pro Vice-Chancellor  - Dev Sanskriti Vishwavidyalaya
(MBBS, PGDipl, MRCPsych – London)

- As a core committee member of the International Day of Yoga
- As director of GCR (a UN Security Council initiative)
- As Co-founder of the First Centre for Baltic Culture and Studies of Asia
- As founder of the South Asian Institute for Peace & Reconciliation
- Member as Judge in Templeton Prize Committee
- Honorary Member of the Senate of the University of Latvia
- Member – ICCR Governing Council
- Invited representative of India by the Ministry of AYUSH for successfully enlisting Yoga in the Intangible Cultural Heritage List by UNESCO
- Non-officio member of the Ministry of Culture (GoI)Awarded with the Prestigious Bharat Gaurav Awards 2023
- Recipient of the renowned Erasmus+ Scholarship

ऐसा समय युगों युगों मे कभी कभी आता है, जब समग्र विश्ववसुधा के कल्याण के लिए अवतारी चेतना बहुआयामी रूपो मे प्रकट होती है । परमं पूज्य गुरूदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और परम वंदनीया स्नेहसलिला माता भगवती देवी  शर्मा  को एक ऐसे ही रूप मे देखा जा सकता है जो युगों युगों मे गुरु और अवतारी सत्ता दोनो ही रूपो मे हम सबके बीच प्रकट हुई।

उन्होंने वर्तमान चुनौतीभरी परिस्थितियों मे जहाँ व्यक्ति की भावनाएँ, विचार और प्रकृति की विपरितता की पराकाष्ठाएं समग्र सृष्टि के भविष्य को विनाशकी ओर ले जाती दिख रही हैं वहां समूचे विश्वकी चेतना को - रूठी हुई प्रकृतिकी दिशा को सही मोड देने के लिए नैतिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक और अध्यात्मिक शोधन और वैश्विक आंदोलन - युगनिर्माण योजना - विचार क्रांति अभियान शुरू किया।

१५ वर्ष की आयुमे ही २४ – २४ लक्ष्य के गायत्री महाशक्ति के २४ महापुरश्चरण (आहार मे सिर्फ जौ की २ रोटी और छाछ पर) पूर्ण कर ;  सम्पन्न परिवार में जन्म होने पर भी सदा सादा जीवन उच्च विचार अपनाकर ; अपने सूक्ष्म शरीर धारी गुरु - "महान हिमालयी योगी
" - स्वामी सर्वेश्वरानंदजी के सन्देशानुसार कठोर तपोबल से गायत्री महाप्रज्ञाका अवतरण कर विश्वमें भारतीय संस्कृतिके मूल स्तम्भ गायत्री माता -  यज्ञ पिता को घर - घर, जन - जन तक प्रसारित किया और समग्र मानवचेतना को झकझोरने वाला साहित्य लिखा।  ३२०० से ज्यादा पुस्तकें -  जिसमे ४ वेद, १०८ उपनिषद, ६ दर्शन, १८ पुराण, १९ वा प्रज्ञा पुराण... आदि का सरल भाष्य एवं विचार क्रांतिके बीजरूप वांग्मय - क्रांतिधर्मी साहित्य लिखा। (पढ़ने के लिए प्ले स्टोर से डाउनलोड  करें एप्लीकेशन : AWGP-Literature) 

ऋषि परम्पराको पुनः जागृत कर ; भारतीय संस्कृतिके आधार -  संस्कार परम्पराको जीवंत किया। उन्होंने सूत्र दिया : "हम सुधरेंगे - युग सुधरेगा", "हम बदलेंगे - युग बदलेगा।" जिसका उद्देश्य है - "मनुष्य में देवत्व का उदय, धरती पर स्वर्ग का अवतरण।" 
उन्होंने बताया की मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है  बहुसत्यानुभवानुसार उनका लिखा क्रांतिधर्मी साहित्य "आग" है जिसे जो भी पढ़ेगा वह उनकी युग निर्माण योजना का अंश बनने के लिए विचलित हो उठेगा। उन्होंने कहा है "मैं व्यक्ति नहीं विचार हूँ"।  "हमें पूजनेकी नहीं, पढ़ने की जरुरत है"।  वे सृष्टि की अधोगामी दिशाको मोड़नेवाली पराशक्ति ऋषिसत्ता, संत, अध्यात्मिक वैज्ञानिक, योगी, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, लेखक, सुधारक, स्वतंत्रता सैनानी, शोधकर्ता, प्रख्यात विद्वान और दूरदर्शी, उज्जवल भविष्यके द्रष्टा एवं निर्माता का सामंजस्य पूर्ण मिश्रण है ;

- जिन्होंने धर्म तंत्र से लोक शिक्षण - राष्ट्र जागरण ;  व्यक्तिनिर्माणसे परिवार निर्माण, परिवार निर्माण से समाज निर्माण, समाज निर्माण से राष्ट्र निर्माण एवं युग निर्माण योजना के अंतर्गत
- विश्वव्यापी सप्त सूत्री आंदोलन : (Know more)
  • (१) साधना
  • (२) स्वास्थ्य
  • (३) शिक्षा
  • (४) पर्यावरण
  • (५) नारी जागरण
  • (६) स्वावलम्बन
  • (७) व्यसन मुक्ति - कुरीति उन्मूलन दिए।

जिसके अंतर्गत दिये शत् सूत्री 
(Know more) कार्यक्रम अखिल विश्व गायत्री परिवार के करोडों स्वैच्छिक समयदानीओ को माध्यम बनाकर - शान्तिकुंज-हरिद्वार में सन् १९२६ से प्रदीपमान अखंड दीपक मे  सूक्ष्म स्वरूप  में  विराजमान परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य  एवं परम वंदनीया स्नेह सलिला माता भगवती देवी शर्मा जी की ही सूक्ष्म चेतना शक्ति व प्रेरणा व संरक्षण - परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य  लिखीत  पुस्तक  'महाकाल और युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया' में कहे अनुसार विश्व मानव चेतना को  झकझोरते एवं अनेकों हताश, निराश दिशाहीनों को  दिशा सूचन - विचार प्रेरणा व उत्कृष्ट चिंतन, मार्गदर्शन, देते हुए ; जीवनके उच्चतम आदर्श-लक्ष्यकी और बढ़ाते हुए दिखें जा रहे हैं ।

उल्लेखनीय है की उन्ही की सूक्ष्म और कारण सत्ता के संरक्षण एवं प्रेरणा और शक्तिसे एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख - कुल संरक्षक - श्रद्धेयद्वय - परम पूज्य गुरुदेव के वैज्ञानिक अध्यात्मवादको भारत देश एवं  ८० से ज्यादा विदेशोंमें पहुचानेका भगीरथ कार्य करने वाले , सदा परम पूज्य गुरुदेव व परम वंदनीय माताजी के छायारूप  - डॉ. प्रणव पंड्या
जी  (कुलाधिपति - देव संस्कृति विश्वविद्यालय) व स्नेहसलिला वंदनीया शैलबाला पंड्या जी (जीजी)  के कुशल नेतृत्व, प्रेरणा, शुभाशीष एवं मार्गदर्शनमें एवं युवा वर्गके आदर्श परम आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या ( प्रति-कुलपति - देव संस्कृति विश्वविद्यालय )जी  के स्नेह मार्गदर्शनमें नवयुग के मत्स्यावतार रूप यह मिशन निरंतर अपने लक्ष्यकी और आगे बढ़ता जा रहा है । 

विशाल वटवृक्ष समान जिसकी अनेकों शाखाओं में से एक - अंकुरित - गायत्री परिवार युथ ग्रुप (GPYG - Ahmedabad) अहमदाबाद द्वारा पर्यावरण आंदोलन अन्तर्गत वृक्षगंगा  अभियान के तहत
  • १ जुलाई २०१८ से सतत रविवारिय वृक्षारोपण चल रहा हैं व २१ जनवरी २०२४ के २९१ वें रविवार तक ९२५० वृक्ष लगा चुके है।
  • अहमदाबाद म्युनिसिपल कोर्पोरेशन के तीन प्लोट्स में घने, घटादार, फलदार २०० से अधिक वृक्ष लगाकर पोषित किया गया हैं।
  • शिक्षा आंदोलन अंतर्गत - बाल संस्कार शालाएं।
  • विशेष दिवसोत्सव, यज्ञ गर्भोत्सव संस्कार एवं नाम करण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, जन्मोत्सव, विवाहोत्सव... आदि ।
  • विचार क्रांति युग साहित्य वितरण।
  • किशोर - कन्या कौशल व्यक्तित्व विकास वर्ग आदि कार्यक्रम किये जा रहे हैं।
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युग निर्माण का  सप्त  सूत्री कार्यक्रम  (Know more)
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ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपने अन्तःकरण में धारण करते है। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

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