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ज्ञान गोष्ठी - QUIZ No. 5
विषय : देव-शास्त्र-गुरु, प्रश्न : 50 से 65
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https://www.atmadharma.com/shastras/gnaangosthi_guj_txt.pdf
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http://www.atmadharma.com/shastras/gnaangosthi_hin_scn.pdf
By:
www.jainmedialive.com
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१. अभेद भक्ति कौन कौन से प्रकार की होती है ?
*
1 point
शुक्ल ध्यान, धर्म ध्यान
आर्त ध्यान, रौद्र ध्यान
ऊपर दिए गए सभी विकल्प सही है
2. स्त्री को कौनसी अभेद भक्ति हो सकती है ?
*
1 point
शुक्ल ध्यान
धर्म ध्यान
आर्त ध्यान
रौद्र ध्यान
३. तीर्थकर भगवान की सच्ची विनय क्या है?
*
1 point
शुभ राग से बहुमान करना
खुद के ( अपने ही ) भगवान चैतन्य ज्योतिका बहुमान करके उसमें ठहरना
अज्ञान पूर्वक कुदेवादिक के सामने सिर झुकाना
४. ज्ञानी जीव अपने स्वभाव को सर्वोत्कृष्ठ मानते है उसमें तीर्थकर भगवान का?
*
1 point
अविनय होगा
स्वभाव के आदर में तीर्थकर भगवान की विनय समाहित है
५. अरिहंत परमात्माने शरीरादि को छोड के परमात्मापना प्राप्त किया उसका अर्थ क्या है?
*
1 point
अरिहंत परमात्मा को शरीर नहीं होता
मोह राग द्वेष के अभाव से शरीरादि का अभाव हो गया ऐसा कहने में आया है
अरिहंत परमात्मा को मोह राग देष होते है
६. शास्त्र पढ़ने का तात्पर्य क्या नहीं है?
*
1 point
राग आदि का अवलंबन छोड़ना
शुद्ध ज्ञान स्वभावी आत्मा का ज्ञान करना
आत्मा और राग दोनों का अवलंबन लेना
७. आचार्यदेव के अनुसार शास्त्र में अर्थ कितने प्रकार से किया जाता है?
*
1 point
दो- अक्षरार्थ और भावार्थ
तीन
पांच
८. ज्ञानावरण कर्म से ज्ञान रुकता है वह कया है?
*
1 point
भावार्थ , सही में ज्ञान कर्म की वजह से रुकता है
अक्षरार्थ , सही में ज्ञान अपने ही कारण से अल्प ( हीन ) हुआ है
९. नियमसार में चार भावों से आत्मा को कैसा बताया है?
*
1 point
आश्रय अपेक्षा से क्षायिकभाव से आत्मा को गोचर कहा
आश्रय अपेक्षा से क्षायिकभाव से आत्मा को अगोचर कहा
१०. द्रव्य की सेवा करने का मतलब क्या है?
*
1 point
अन्य द्रव्य पर लक्ष करना
अकेले ध्रुव स्वभाव पर लक्ष करना
पर्याय का लक्ष करना
११. सिर्फ जिनवाणी सुनने के राग से क्या होता है?
*
1 point
ज्ञान (यथार्थ जानकारी)
पुण्यबंघ
दोनों
१२. वास्तविक जानकारी ( सच्ची समझ ) कब होती है?
*
1 point
स्वसन्मुख होने से
जीनवाणी सुनने से
१३. ज्ञान में धारणा रुप जानकारी ( समझ ) होती है वह यथार्थ है?
*
1 point
हा
नहीं , स्वसन्मुख होने से यथार्थ जानकारी होती है
१४. परिक्षा प्रधानी होना है या आज्ञानुसारी?
*
1 point
मात्र परिक्षा प्रधानी
मात्र आज्ञानुसारी
सर्वज्ञ की आज्ञा मानके परिक्षा करना योग्य है
१५. सभी शास्त्रो का सार क्या है?
*
1 point
स्वसन्मुख होने का प्रयत्न करना
बहुत सारे शास्त्र पढ़ने में अटक जाना
१६. जीव को सम्यकदर्शन अवश्य होगा जब?
*
1 point
बुद्धी पूर्वक तत्व अभ्यास करने से
तत्व निर्णय का यथार्थ पुरुषार्थ करे तब
१७. तत्व निर्णय करने में कितने वर्ष (साल) लगते है?
*
1 point
अंतर्मूहुर्त
अनंत काल
काल का कोइ नियम नहीं है, वीर्य स्वसन्मुख होने से कार्य जरुर होता है
१८. वर्तमान सुख का कारण क्या है?
*
1 point
स्वसंवेदनज्ञान ,आनंद सहित का ज्ञान
व्रत तप आदि शुभ विकल्प
शास्त्रज्ञान
१९. परमात्मप्रकाश में आता है की दिव्यध्वनि से आत्मा को जान नहीं सकते , इसका अर्थ क्या है ?
*
1 point
जब आत्मा अपने से ही अपने को जाने तब दिव्यध्वनि निमित्त
सहीं में आत्मा दिव्यध्वनि सें ही जानने में आता है
२०. आत्मसन्मुख होने का अर्थ क्या है ?
*
1 point
अंतर निर्विकल्प में जाने की कोशीश करना
शास्त्र को जानने में रुक जाना
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