भगवद् गीता प्रश्नोत्तरी- 139
☘️🌷जय श्री राम !! जय श्री कृष्ण !!🌷☘️
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वेदांत एक आध्यात्मिक दर्शन है जो तीन तत्वों और उनके बीच संबंध पर विचार करता है: 
 ब्रह्म ,जीव और जगत
वेदान्त दर्शन चार प्रमुख प्रकार के हैं  - 
अद्वैत, विशिष्टाद्वैत , शुद्धाद्वैत  और द्वैत
अद्वैत:
अद्वैत के संस्थापक जगदगुरु आदि शंकराचार्य हैं जो भगवान् शिव के  अवतार हैं। अद्वैत के अनुसार
 केवल एक ही पूर्ण और अंतिम सत्य है - ब्रह्म। 
 जीव ब्रह्म से अलग नहीं । जीव और ब्रह्म दोनों एक और अभिन्न है, दोनों में द्वैत नहीं है। अज्ञान या अविद्या के कारण दोनों भिन्न मालूम होता है। 
   
ब्रह्म सत्यं जगत् मिथ्या जिसका अर्थ है कि केवल ब्रह्म ही वास्तविक है और जगत् असत्य है , माया है । जगत् केवल अज्ञान के कारण प्रकट होता है। ज्ञान और सत्य को प्राप्त करने के बाद जगत् का अस्तित्व नहीं रहता।  ज्ञान प्राप्त होने पर जीव अपने मूल स्वरूप ब्रह्म को प्राप्त कर लेती है और साधक जान लेता है- अहं ब्रह्मास्मि यानी कि -मैं ब्रह्म हूँ ।  


विशिष्टाद्वैत
विशिष्टाद्वैत के संस्थापक हैं श्री रामानुजाचार्य जो आदीशेष के अवतार हैं । उनके अनुसार ब्रह्म सर्वोच्च वास्तविकता है। ब्रह्म, जीव और जगत् मिलकर एक अविभाज्य एकता बनाते हैं।
श्री शंकराचार्य ने जगत को माया करार देते हुए इसे मिथ्या बताया है। लेकिन श्रीरामानुज ने अपने सिद्धांत में यह स्थापित किया है कि जगत भी ब्रह्म ने ही बनाया है और जगत माया नहीं है ।  
 आत्मा और परमात्मा एक जैसे नहीं हैं लेकिन  आत्मा परमात्मा का एक अंश है और उनमें विशिष्ट अंतर है इसलिए इसे विशिष्टाद्वैत कहा गया है । 
मोक्ष या मुक्ति,  भगवान के प्रति प्रेमपूर्ण भक्ति के माध्यम से प्राप्त की जाती है।

शुद्धाद्वैत  और द्वैत के बारे में हम बुधवार को देखेंगे।
आपका नाम *
1. भगवान के विश्वरूप दर्शन करने के बाद अर्जुन कहते हैं “हे सहस्र बाहु! यद्यपि आप समस्त सृष्टि में अभिव्यक्त हैं किन्तु मैं आपके ________रूप के दर्शन करना चाहता हूँ।  “ *
2 points
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2. अभिमन्यु की पत्नी और परीक्षित की माँ कौन थी? *
2 points
 3. भगवान श्रीकृष्ण धरती से चले जाने के बाद किस युग का आरंभ हुआ? *
2 points
4. “ पत्रम् फलम् पुष्पम् तोयम् “  भगवान गीता में कहते हैं “जो कोई भी भक्त मेरे लिए पत्र, पुष्प, फल, जल शुद्ध मन और  भक्ति से अर्पण करता है, मैं उसे अवश्य स्वीकार करता हूँ। “ इस प्रकार भक्त गजेंद्र हाथी ने इनमें से भगवान महाविष्णु जी को परम भक्ति और श्रद्धा से क्या प्रदान किया था ? *
2 points
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5. ते तं भुक्त्वा …. विशालं क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशन्ति…. ।।९.२१।। 
गीता के इस श्लोक के अनुसार, मर्त्यलोक क्या है?  
*
2 points
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