भगवद् गीता प्रश्नोत्तरी- 136
☘️🌷जय श्री राम !! जय श्री कृष्ण !!🌷☘️
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🙏🌹महर्षि कश्यप - सप्तर्षि में एक हैं🌹🙏
ऋषि कश्यप के प्रमुख पत्नियाँ - अदिति ,दिति, कद्रू और विनता।
कश्यप ऋषि ही भगवान विष्णु के कृष्णावतार में उनके पिता वसुदेव थे तथा उनकी प्रथम पत्नी अदिति देवकी थीं।
महर्षि कश्यप सप्तर्षि में एक महान ऋषि हैं । 
इनके पिता का नाम महर्षि मरीचि है और ये ब्रह्मदेव के पौत्र हैं। इनके सत्रह पत्नियाँ हैं । इसमें से प्रमुख पत्नियाँ अदिति, दिति, कद्रू और विनता। 

अदिति के पुत्र से सृष्टि की रचना हुई
१२ आदित्यविवस्वान (सूर्य), आर्यमन , त्वष्टा , सवित्र , भग, धाता , मित्र , वरुण , अम्सा , पूषन , इंद्र और विष्णु ( वामन के रूप में) 

८ वसुधर, ध्रुव, सोम, अप्, अनल/ अग्नि, अनिल, प्रत्यूष तथा प्रभास 

११ रुद्र कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, आपिर्बुध्य, शम्भू/ शिव, चण्ड तथा भव 


दिति के पुत्र- 
दैत्य (हिरण्याक्ष, हिरण्यकशिपु, होलिका) 
४९ मरुत - वायु के ४९ प्रकार हैं 

कद्रू के पुत्र- 
आदिशेष( विष्णु का शयन) , 
तक्षक ( राजा परीक्षित को इसी ने काटा था)
वासुकि ( शिवजी की गर्दन में )
कालिया ( श्रीकृष्ण ने यमुना नदी में इसका दमन किया)
अन्य प्रकार के नाग । 

विनता के पुत्र - 
गरुड़ ( विष्णु का वाहन) 
अरुणा( सूर्य का सारथी)
आपका नाम *
1.पाण्डव सेना का सेनापति कौन था ? *
2 points
2. भगवान कहते हैं “ हे अर्जुन ! जो पुरुष अपने समान सर्वत्र सम देखता है, चाहे वह सुख हो या दु:ख, वह परम योगी माना गया है।” *
2 points
3. भगवान ने योगमाया को देवकी से सातवें बच्चे को वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया और इस तरह बलराम जी  का जन्म हुआ। इसीलिए बलराम जी को _________कहते हैं। *
2 points
4.  महाभारत युद्ध के बाद, किसने श्री कृष्ण को श्राप दिया कि उनका यादव वंश नष्ट हो जाएगा? श्री कृष्ण ने श्राप स्वीकार कर लिया और यह युद्ध के 36 साल बाद सच हुआ। किसने श्री कृष्ण को श्राप दिया था? *
2 points
5. गीता के श्लोक 4.5 के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं  -- “हे अर्जुन ! मेरे और तेरे बहुत-से जन्म हो चुके हैं। उन सबको मैं जानता हूँ, पर तू नहीं जानता।” इस श्लोक से आप क्या समझते हैं ? *
2 points
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आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंशुमान् | मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी || 10.21|| 

मैं अदिति के बारह पुत्रों में विष्णु हूँ, प्रकाशवान पदार्थों में सूर्य, मरूतों में मुझे मरीचि और नक्षत्रों में रात्रि का चन्द्रमा समझो।

 रुद्राणां शङ्करश्चास्मि वित्तेशो यक्षरक्षसाम् | 
वसूनां पावकश्चास्मि मेरु: शिखरिणामहम् || 10.23|| 
रुद्रों में मुझे शंकर जानो, यक्षों में मैं कुबेर हूँ, वसुओं में मैं अग्नि हूँ और पर्वतों में मेरु हूँ।
भगवान कहते हैं 
“मैं नागों में आदिशेष हूँ।”(१०.२९)
“ मैं सर्पों में वासुकि हूँ।”(१०.२८)
“ मैं पक्षियों में गरुड़ हूँ।”(१०.३०)
“ मैं दैत्यों में प्रह्लाद हूँ।”(१०.३०)
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