Published using Google Docs
अचानक कुछ भी नहीं - सिलसिलेवार है
Updated automatically every 5 minutes

अब जो चल पड़ा है कारवाँ तो रुकने का नाम न लो,

अब जो पास हैं मंजिले तो थकने का नाम न लो,

अब जो दूरियाँ इतनी घटी हैं तो बिछड़ने का नाम न लो,

अब जो नजदीकियाँ हो चली हैं तो,

सिमटने दो खुद में मुझको,

ये  रोका, ये टोकी,  ये सब तो बहाने हैं,

भूल जा और भुलाने दे मुझको,

ये तूफां जो तेरे मेरे दरमियां उठ चला है,

मेरे दरवाजे पे तेरी परछाई,

ये शाम कि गहराई,

ये वक़्त कि बेवफाई,

अचानक कुछ भी नहीं - सिलसिलेवार है।